185 फीट ऊँची द्वि-मूर्ति स्मारक योजना
Ambedkar–Buddha Samrasta Shanti Dham
एक गैर-लाभकारी संस्था, Companies Act, 2013 की धारा 8 के अंतर्गत पंजीकृत
Sahaspur, Rajnagar, District Madhubani, Bihar – 847235
प्रमुख संपर्क: Dr. Mithun Kumar Paswan (Founder & President)
मो. नं. 8102245536
भारत के संविधान निर्माता डॉ. भीमराव अंबेडकर एवं करुणा और शांति के संदेशवाहक भगवान गौतम बुद्ध – दोनों ही भारतीय समाज में समानता, स्वतंत्रता और बंधुत्व के प्रतीक हैं।
उनके विचारों को मूर्त रूप देने के उद्देश्य से, Ramgulam Foundation द्वारा एक संयुक्त स्मारक "Ambedkar–Buddha Samrasta Shanti Dham" के निर्माण का प्रस्ताव किया गया है।
यह परियोजना सामाजिक समानता, आध्यात्मिकता, शिक्षा और पर्यटन – चारों आयामों को एक साथ जोड़ने वाला राष्ट्रीय स्तर का केंद्र होगी।
सामाजिक समरसता, मानवाधिकार और शांति के मूल्यों का प्रचार-प्रसार।
मधुबनी जिला एवं मिथिला क्षेत्र को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पर्यटन मानचित्र पर स्थापित करना।
स्थानीय युवाओं के लिए स्थायी रोजगार सृजन।
संविधानिक और बौद्ध दर्शन पर आधारित शिक्षा एवं शोध गतिविधियों को बढ़ावा देना।
डॉ. भीमराव अंबेडकर और भगवान बुद्ध की 185 फीट ऊँची मूर्तियाँ
पौधरोपण, जलाशय, पदपथ एवं पर्यावरण संरक्षण
अंबेडकर और बुद्ध दर्शन पर आधारित डिजिटल प्रदर्शनी
संविधान, समाजशास्त्र, एवं मानवाधिकार पर अध्ययन केंद्र
ध्यान और ज्ञान का संगम स्थल
कैफेटेरिया, पुस्तक विक्रय केंद्र, विश्राम गृह
यह क्षेत्र बिहार के मिथिला अंचल का सांस्कृतिक केंद्र है, जो नेपाल सीमा के समीप स्थित है। यह स्थान बौद्ध परंपरा, समानता आंदोलन एवं शिक्षा गतिविधियों के लिए अत्यंत उपयुक्त है।
भूमि सरकार / जिला प्रशासन से आवंटित करने का प्रस्ताव। Ramgulam Foundation परियोजना के निर्माण, संचालन और रखरखाव की जिम्मेदारी लेगा।
| मद | अनुमानित राशि (₹ करोड़) |
|---|---|
| भूमि विकास, सर्वे एवं नींव निर्माण | 10 |
| बुद्ध मूर्ति (185 फीट) | 55 |
| अंबेडकर मूर्ति (185 फीट) | 55 |
| शांति उद्यान व लैंडस्केप | 10 |
| संग्रहालय, लाइब्रेरी, सभागार | 10 |
| प्रशासनिक, कानूनी एवं अनुमति व्यय | 5 |
| कुल अनुमानित लागत | 145 करोड़ रुपये (±10%) |
भारत की शीर्ष कंपनियों से
Ministry of Culture / Tourism / Social Justice
जापान, श्रीलंका, थाईलैंड से सहयोग
"Donate for Equality & Peace" अभियान
2025–2026
परियोजना की प्रारंभिक स्वीकृति और विस्तृत परियोजना रिपोर्ट तैयार करना
2027
भूमि आवंटन प्रक्रिया और सभी तकनीकी स्वीकृतियाँ प्राप्त करना
2028–2031
मुख्य निर्माण कार्य का क्रियान्वयन
वर्ष 2032
परियोजना का उद्घाटन और जनता के लिए खोला जाना
भारत-नेपाल बौद्ध सर्किट में बिहार की भूमिका को सुदृढ़ करना और मिथिला क्षेत्र को अंतरराष्ट्रीय पर्यटन मानचित्र पर स्थापित करना।
"जहाँ बुद्ध की करुणा और अंबेडकर का न्याय एक साथ हों, वहीं सच्चा समरस भारत है।"